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प्रेरक कहानियां - पार्ट 123

ईश्वर पर विश्वास


उत्तरी अमेरिका में नियाग्रा नामक एक प्रपात है। इसमें पानी की बहुत चौड़ी धार १६० फीट ऊँचाई से गिरती है। यदि प्रपात के पास कोई खड़ा हो तो जल का कल- कल शब्द बहुत ही भयानक प्रतीत होता है। कोई पानी के प्रपात में गिर पड़े तो जीवित रहने की आशा नहीं है।

अभी कुछ वर्ष पहले की बात है। एक अमरीकन पहलवान ने यह घोषणा की कि वह एक तार पर चलकर नियाग्रा प्रपात पार करेगा। नियाग्रा प्रपात के एक किनारे से दूसरे किनारे तक एक हवाई जहाज की सहायता से ठीक प्रपात के ऊपर से तार फैलाया गया।

पहलवान ने जो दिन निश्चित किया था, उस दिन उसके इस कौशल को देखने को बहुत भीड़ इकट्ठी हुई। ईश्वर का नाम लेकर उसने तार पर चलना प्रारम्भ किया।

भीड़ की आँखें उस पहलवान की ओर लगी थीं। वह धीरे- धीरे चलकर उस पार कुशलता से पहुँच गया। ज्योंही उस पार पहुँचा, भीड़ उसकी प्रशंसा में चिल्ला उठी। बहुतों ने उसको ईनाम दिया। उस समय उसने लाउडस्पीकर पर ईश्वर का धन्यवाद दिया और भीड़ से पूछा, ‘‘क्या आपने मुझे तार पर चलकर प्रपात पार करते देखा?’’ भीड़ ने उत्तर दिया ‘‘हाँ।’’

उसने दूसरा प्रश्न किया,‘‘क्या मैं फिर इस पार से उस पार तक इसी प्रकार पार कर सकता हूँ?’’ भीड़ ने उत्तर दिया ‘‘हाँ।’’

उसने तीसरा प्रश्न किया, ‘‘क्या आप लोगों में से कोई मेरे कन्धे पर बैठ सकता है, जब मैं इस प्रपात को पार करूँ?’’

इस प्रश्न पर भीड़ में सन्नाटा छा गया। कोई भी उसके कन्धे पर पार करते समय बैठने को तैयार नहीं हुआ। फिर उसने अपने १६ वर्षीय इकलौते बेटे को कन्धे पर बैठने को कहा। पुत्र पिता के कहने पर कन्धे पर बैठ गया। पिता ने धीरे- धीरे तार पर चलना प्रारम्भ किया। भीड़ की आँखें उनकी ओर लगी हुई थीं। कोई कहता था, ‘‘अभी दोनों गिरते हैं- अब मरे’’ इत्यादि। परन्तु ईश्वर की कृपा से पहलवान अपने पुत्र सहित सरलता से पार हो गया।

भीड़ ने इस बार पहले से अधिक उसकी प्रशंसा की और बहुत से ईनाम दिये। उसने लाउडस्पीकर से ईश्वर की महिमा पर छोटा- सा भाषण दिया। उसने कहा, ‘‘आप लोगों को मेरी सफलता या योग्यता पर विश्वास न था। इस कारण आप लोगों में से कोई मेरे कन्धे पर बैठने को तैयार नहीं था।

मेरे पुत्र को मुझ पर विश्वास था और इस कारण वह मेरे कन्धे पर बैठने को तैयार हो गया और मैं उसे लेकर इस पार आ गया हूँ। हम सबका पिता ईश्वर है। जिस प्रकार से मेरे बेटे को मुझ पर विश्वास था, ठीक उसी प्रकार से यदि आपका विश्वास उस परम पिता परमात्मा पर हो, तो आप सांसारिक कठिनाइयों को ठीक उसी प्रकार पार सकते हैं, जैसे मेरे बेटे ने मेरे कन्धों पर नियाग्रा प्रपात पार किया है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखिये और परिश्रम करिये। मुझे ईश्वर पर दृढ़ विश्वास था कि वह मेरी इस कठिनाई के समय सहायता करेगा और उसने सहायता की।’’

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